आज जब जानापाव के अंदर समस्त कई अनगिनत संगठन एकजुट होकर एक साथ मंदिर पहुंचकर भगवान श्री परशुराम जी की पूजा अर्चना करते हैं तो इसका श्रेय पूरी तरह से जाता है राष्ट्रीय परशुराम परिषद के उन समस्त पदाधिकारी को जिन्होंने इस विषय पर शोध करके एक बहुमूल्य विषय पर काम किया है ! राष्ट्रीय परशुराम परिषद शोधपीठ के अंदर शामिल समस्त पदाधिकारी के साथ मिलकर इस विषय को बड़े गंभीरता से उठाया और आज जानापाव को पूरे भारत के लोग जानना प्रारंभ कर दिए हैं? क्योंकि यह जगह केवल जिला स्तर और तहसील स्तर पर ही लोग जानते थे की जानपाव में भगवान श्री परशुराम जी का मंदिर है लेकिन यह नहीं जानते थे कि यही जगह है जहां भगवान श्री परशुराम जी का जन्म हुआ था|

यह बड़े गौरव की बात है यह इस कालखंड का सबसे बड़ा और सबसे उच्चतम कार्य राष्ट्रीय परशुराम परिषद द्वारा किया गया ! हम समस्त राष्ट्रीय परशुराम परिषद के पदाधिकारी गण सदस्य गण एवं जिन्होंने इस विषय को बढ़ाने के लिए अपना कीमती समय कोरोनावायरस के चलते भी किया है उनका रथ रुक नहीं जब तक उन्होंने यह कार्य नहीं कर दिया आप सभी जानते हैं उनका नाम है श्री पंडित सुनील भराला राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश एवं राष्ट्रीय शोध पीठ के अध्यक्ष श्री आचार्य कृष्णन जी जिन्होंने दिए गए कार्य को अंजाम तक पहुंचा कर भगवान परशुराम जी के चरणों में तक पहुंचाने के लिए अपना पूरा कीमती समय दिया है उनको हम बहुत-बहुत साधुवाद देते हैं|
यद्यपि भारत के अंदर अनगिनत संगठन बने हुए हैं लेकिन भगवान परशुराम जी के संबंध में किसी भी संगठन ने आवाज नहीं उठाई और न इस विषय पर कोई किसी ने जानने की कोशिश किया कि जिस प्रकार से भगवान श्री रामचंद्र जी की जन्म भूमि अयोध्या है भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा है तो फिर श्री भगवान परशुराम जी की जन्म भूमि कहां पर है यह बड़ा प्रश्नवाचक चिन्ह है और इस विषय पर जिस प्रकार से अपना पूरी तरह लग्न के साथ शोधपीठअध्यक्ष महोदय द्वारा वाराणसी की धरती से 20 नवंबर 2022 को हजारों की संख्या में उपस्थित समुदाय के बीच में भगवान भोले शंकर की नगरी से यह घोषणा की गई कि पूरे शास्त्रों और पुराणों के आधार पर भगवान परशुराम जी की जन्मस्थली जानापाव ही है वह समय हम सभी को ऐसा लगा कि यह एक चमत्कार से काम नहीं है सभी रोमांचित हो उठे और तालिया की गड़गड़ाहट और जयकारों के साथ पूरा बनारस गूंज मन होता था और भगवान शिव का भी डमरू बज चुका था !
तत्पश्चात 2023 में अक्षय तृतीया के दिन 108 यजकुंडीय हवन किया गया जहां पर हजारों लोगों की उपस्थिति पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी एवं गृह मंत्री अमित शाह जी जैसे महान लोग भी वहां पहुंचकर भगवान परशुराम जी के चरणों में प्रार्थना किया तब से लेकर आज तक वहां मेला लगा रहता है हमारे देश में हजारों संगठन हर जिले और प्रदेश में आपको मिल जाएंगे लेकिन जहां तक मेरा नजरिया जाता है किसी भी संगठन ने भगवान परशुराम जी के संबंध में कोई शोध नहीं किया और न ही कोई उत्सुकता दिखाई !केवल अक्षय तृतीया के दिन उनके नाम पर व्रतबंध एवं छोटे-छोटे शुभ कार्य इत्यादिहोते रहे हैं परंतु यदि हम राष्ट्रीय परशुराम परिषद की तरफ देखते हैं तो जिस प्रकार से श्री पंडित सुनील भराला जी राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश द्वारा राष्ट्रीय परशुराम परिषद शोध पीठ की स्थापना करके उन्होंने जिस प्रकार से बड़े-बड़े बुद्धजीवियों साधु संतों इत्यादि को सम्मिलित करके इस विषय के शोध के लिए श्री आचार्य कृष्णन जी को कार्य सोपा गयाऔर उनके माध्यम से लगातार रिसर्च करते गए उसका परिणाम यह हुआ कि सनातन धर्मियों को भगवान श्री परशुराम जी की जन्मस्थली का पता चला है! आज हम जब किसी से पूछते हैं कि भगवान श्री परशुराम जी की जन्मस्थली कहां पर है तो वह जानापाव का नाम लेता है जिससे एक खुशी की लहर पैदा होती है!

अभी पिछले वर्ष दिसंबर 2023 में भोपाल के अंदर बहुत बड़ी गोष्ठी राष्ट्रीय अध्यक्ष शोधपीठ राष्ट्रीय परशुराम परिषद एवं संस्थापक संरक्षक राष्ट्रीय परशुराम परिषद के नेतृत्व में हुई थी और उस गोष्टी के समापन के पूर्व जिन-जिन विषयों को एकीकृत किया गया था उन विषयों पर भी अब काम करना शेष है अब इस विषय को भी धीरे-धीरे महत्व दिया जा रहा है और उस गोष्ठी के अंदर जितने भी बिंदुवार विषय लिए गए थे उस पर काम करने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष शोधपीठ द्वारा मार्गदर्शन किया जा रहा है और जाना पाव को एक बहुत बड़ा तीर्थ स्थल बनाने के लिए जो चर्चा हुई है निश्चित रूप से मध्य प्रदेश सरकार को साथ में लेकर के जितने भी कार्य अभी हाथ में है उन सभी को पूरा किया जाएगा ऐसा मेरा मानना है!